भारत का आखिरी गांव Mana अब बन गया देश का पहला गांव, जानिए अचानक से क्यों बदला दिया ये नाम

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भारत का आखिरी गांव Mana अब बन गया देश का पहला गांव, जानिए अचानक से क्यों बदला दिया ये नाम

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उत्तराखंड को हम सभी देवभूमि के रूप में जानते हैं, और इसमें कोई दो राय भी नहीं है, क्योंकि यहां हर दो कदम पर आपको देवी-देवताओं का एक ऐसा अनोखा इतिहास सुनने को मिल जाएगा, जिसकी वजह से इस राज्य की पहचान बनी हुई है। लेकिन एक और चीज है, जिसके लिए उत्तराखंड को आजतक जाना गया है और आगे भी जाना जाता रहेगा, हम बात कर रहे हैं, बद्रीनाथ से 3 किमी दूर स्थित भारत के आखिरी गांव माणा की। अरे नहीं! अब तो ये गांव भारत का पहला गांव बन चुका है। जी हां, हाल ही में उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने यहां के आखिरी गांव वाले बोर्ड की जगह पर भारत का प्रथम गांव वाला बोर्ड लगा दिया है। मतलब अब से लोग इस गांव को आखिरी नहीं बल्कि भारत के पहले गांव के रूप में संबोधित करेंगे। चलिए जानते हैं यहां की कुछ खूबसूरत चीजों के बारे में। (फोटो स्रोत: पुष्कर धामी ट्विटर अकाउंट)

भारत का पहला गांव

अक्टूबर 2022 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी माणा के दौरे पर निकले थे। मोदी जी का कहना था कि माणा को देश का पहला गांव कहा जाना चाहिए और भारत की सीमा पर स्थित हर गांव को यही कहना चाहिए। इस बात को ध्यान में रखते हुए मुख्यमंत्री ने माणा को नई पहचान दी और बॉर्डर रोड्स ऑर्गनाइज़ेशन (BRO) ने इस गांव की शुरुआत में 'भारत का प्रथम गांव माणा' बोर्ड लगा दिया। (सभी फोटो स्रोत: विकिमीडिया कॉमन्स)

3219 मीटर की ऊंचाई पर है ये गांव

उत्तराखंड के चार छोटे धाम तो आपने सुने ही होंगे, उसमें से एक है बद्रीनाथ, अगर आप गए होंगे तो जरूर पता होगा कि इसके 3 किमी दूर आगे एक माणा गांव पड़ता है जिसे कुछ दिन पहले तक देश का आखिरी गांव कहते थे। जिला चमोली के इस गांव से 24 किमी दूर चीन की सीमा शुरू होती है। माणा समुद्र तल से 3219 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है। हिमालय की पहाड़ियों से घिरे इस गांव का इतिहास कई हजारों साल पुराना है।

माणा गांव का इतिहास

माणा गांव से जुड़ी आपको कई कहानियां सुनने को मिलेंगी, कहते हैं इस गांव का नाम 'मणिभद्र आश्रम' से लिया है। मणिभद्र यक्ष देवता को गांव का संरक्षक देवता भी माना करते थे। गांव के लोगों का कहना है कि इस गांव का इतिहास कई हजारों साल पुराना है। द्वापर युग मतलब महाभारत काल से भी इसका इतिहास है। कहते हैं पांडव स्वर्ग की यात्रा के दौरान यहां से गुजरा करते थे। यहां एक भीम पुल भी है, इसे भीम ने बनाया था।

माणा गांव की घूमने की जगह

नीलकंठ चोटी: समुद्र तल से 6957 फीट की ऊंचाई पर नीलकंठ चोटी है। इसे 'गढ़वाली की रानी' भी कहते हैं। हर ट्रेकिंग के शौकीनों को यहां घूमने का प्लान तो जरूर बनाना चाहिए।

तप्त कुंड: हिंदू धर्म के अनुसार, तप्त कुंड में अग्नि देव का वास हुआ करता था। माना जाता है कि इस कुंड में चिकित्सीय गुण है और यहां डुबकी लगाने से कई बीमारियों का भी इलाज हो जाता है।

व्यास गुफा: कहते हैं इस गुफा में महाभारत महाकाव्य लिखा था, ये गांव प्रमुख आकर्षणों में से एक है।

माणा कैसे पहुंचे :

ऋषिकेश, हरिद्वार से आसानी से माणा तक पहुंच सकते हैं। हरिद्वार नजदीक रेलवे स्टेशन पड़ेगा, जो माणा से 275 किमी दूर है। बस से या टैक्सी से सड़क मार्ग से भी जा सकते हैं। देहरादून से माणा 315 किमी दूर है। 

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