चंद्रयान-3 आज रात 2 बजे चंद्रमा के और करीब आएगा, चंद्रमा से दूरी 113 Km, लैंडर ने चांद की तस्वीरें भेजीं
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सबसे कम दूरी से ही 23 अगस्त को शाम 5:47 बजे सॉफ्ट लैंडिंग का प्रयास किया जाएगा। 23 अगस्त को लैंडिंग में समस्या आती है तो एक महीने बाद फिर प्रयास होगा। क्योंकि चंद्रयान-3 को अगली सुबह का इंतजार करना होगा, जो वहां 28 दिन बाद होगी।
अभी विक्रम लैंडर की चंद्रमा से सबसे कम दूरी 113 Km और सबसे ज्यादा दूरी 157 Km है। इसरो ने 18 अगस्त को डीबूस्टिंग के जरिए लैंडर की ऑर्बिट घटाई थी। डीबूस्टिंग में यान के चलने की दिशा के अपोजिट डायरेक्शन में थ्रस्टर फायर किए जाते हैं।
इससे पहले 17 अगस्त को चंद्रयान-3 के प्रोपल्शन मॉड्यूल को लैंडर-रोवर से अलग किया गया था। सेपरेशन के बाद लैंडर ने प्रोपल्शन मॉड्यूल से कहा- 'थैक्स फॉर द राइड मेट।' इस दौरान लैंडर पर लगे कैमरे ने प्रोपल्शन मॉड्यूल की फोटो के साथ चंद्रमा की भी तस्वीरें खींचीं।
22 दिन के सफर के बाद चंद्रयान 5 अगस्त को शाम करीब 7:15 बजे चंद्रमा की कक्षा में पहुंचा था। तब उसकी स्पीड कम की गई थी, ताकि यान चंद्रमा की ग्रैविटी में कैप्चर हो सके। स्पीड कम करने के लिए इसरो वैज्ञानिकों ने यान के फेस को पलटकर थ्रस्टर 1,835 सेकेंड यानी करीब आधे घंटे के लिए फायर किए। ये फायरिंग शाम 7:12 बजे शुरू की गई थी।
चंद्रयान ने जब पहली बार चंद्रमा की कक्षा में एंट्री की थी तो उसकी ऑर्बिट 164 Km x 18,074 Km थी। ऑर्बिट में प्रवेश करते समय उसके ऑनबोर्ड कैमरों ने चांद की तस्वीरें भी कैप्चर की थीं। इसरो ने अपनी वेबसाइट पर इसका एक वीडियो बनाकर शेयर किया।
इसरो ने चंद्रयान पर लगे कैमरों से ली गई तस्वीरों का एक वीडियो बनाकर शेयर किया था। इन तस्वीरों में चंद्रमा के क्रेटर्स साफ-साफ दिख रहे हैं।
मिशन की जानकारी देते हुए इसरो ने X पोस्ट में चंद्रयान के भेजे मैसेज को लिखा था, 'मैं चंद्रयान-3 हूं... मुझे चांद की ग्रैविटी महसूस हो रही है।' इसरो ने यह भी बताया था कि चंद्रयान-3 सफलतापूर्वक चंद्रमा की कक्षा में स्थापित हो गया है।' 23 अगस्त को लैंडिंग से पहले चंद्रयान को कुल 4 बार अपनी ऑर्बिट कम करनी है। वो रविवार को एक बार ऑर्बिट कम कर चुका है।