16 दिन बाद कोमा से बाहर आया बच्चा, मां को लगाया गले, डायस्ट्रोफिक एपिडर्मोलिसिस बुलोसा नामक बीमारी से है ग्रस्त
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Haryana Khabar : कहते है इस दुनिया में सबसे सुंदर रिश्ता मां और बेटे का होता है। वैसा ही एक वीडियो सोशल मीडिया पर इन दिनों काफी वायरल हो रहा है, जिसमें बीमार बच्चा अपनी मां से लिपटकर रोता हुआ दिखाई दे रहा है। गंभीर बीमारी से पीड़ित बच्चा 16 दिन बाद कोमा से जागा। उसकी मां उसे देखने के दिन अस्पताल दौड़ी आईं। अपने बच्चे को देख उनकी खुशी का ठिकाना नहीं रहा और उन्होंने भावुक होकर उसे गले से लगा लिया।
जिस तरह से बच्चों के लिए मां-बाप के बिना एक दिन भी रहना मुश्किल होता है। ठीक वैसे ही पैरेंट्स अपने बच्चों से दूर रहने की कल्पना नहीं कर सकते हैं। पर कुछ मजबूरियों के आगे किसी का बस नहीं चलता है। सोशल मीडिया पर एक मां-बेटे का वीडियो तेजी से वायरल हो रहा है।
इसे देख आपकी आंखें भर आएंगी। एक मां अपने बेटे से मिलने के लिए अस्पताल आती है। उसे पता चलता है कि बेटा 16 दिन बाद कोमा से बाहर आ गया है। वो बेटे से लिपटकर रोने लगती है। बच्चे का नाम गुइ है। वो जन्म से ही डायस्ट्रोफिक एपिडर्मोलिसिस बुलोसा नामक त्वचा की बीमारी से पीड़ित है। इस गंभीर के कारण गुई के साथ उसके माता-पिता को भी उसकी स्पेशल केयर करने की जरूरत है।
इस इमोशनल वीडियो को इंस्टाग्राम पर गुड न्यूज मूवमेंट (@goodnews_movement) नाम के पेज पर शेयर किया गया है। कैप्शन में डिजीज के बारे में बताया गया है। 2 दिन पहले पोस्ट किए गए क्लिप को खबर लिखे जाने तक 4 लाख से ज्यादा व्यूज मिल चुके हैं।
वीडियो में देखा जा सकता है कि गुई को देखने के लिए उसकी मां अस्पताल में उसके कमरे की तरफ दौड़ती हुई जा रही है। बच्चा बेड पर बैठा है, वो उन्हें देखते ही 'मां' कहकर रोने लगता है। ये देखकर वो भावुक हो जाती हैं और दोनों एक दूसरे से गले लगते ही फूट-फूटकर रोने लगते हैं। यूजर्स इस क्लिप को देखने के बाद तरह-तरह के रिएक्शन दे रहे हैं। एक ने लिखा- उसे रोना देख मेरा दिल टूट गया। दूसरे यूजर ने कमेंट किया- परिवार को ढेर सारा प्यार।
पोस्ट के मुताबिक, 'बच्चा जन्म से ही डायस्ट्रोफिक एपिडर्मोलिसिस बुलोसा नामक एक दुर्लभ त्वचा रोग से पीड़ित है। ये स्थिति टाइप 7 कोलेजन की कमी से होता है। एक एक प्रोटीन है, जो त्वचा को एपिडर्मिस से जोड़ता है, जिसे बाइंडिंग प्रोटीन के रूप में जाना जाता है। इस स्थिति में गुइ और उनके माता-पिता को काफी सतर्क रहना पड़ता है। उन्हें इस बात का ध्यान रखता होता है कि गुइ को कहीं चोट न लग जाए। बीमारी की गंभीरता के कारण बच्चा 16 दिनों तक कोमा में रहा। इसमें 14 दिन तक इंस्टीट्यूशन में था'।