आखिर क्यों हैं चांद पर इतने गड्ढे, वैज्ञानिकों ने किया रहस्यमय गड्ढों का पर्दाफाश

Sports News Without Access, Favor, Or Discretion!

  1. Home
  2. Trending News

आखिर क्यों हैं चांद पर इतने गड्ढे, वैज्ञानिकों ने किया रहस्यमय गड्ढों का पर्दाफाश

कैसे मिलेगा रेलवे स्टेशन पर दुकान का टेंडर?  जानिए  किराया, स्थान, सबकुछ                                                                                                                             https://haryanakhabar.com/Haryana/how-to-get-a-shop-tender-at-the-railway-station-know-rent/cid12462290.htm


दशकों से चांद को लेकर उपमाएं दी जा रही हैं, गीत लिखे जा रहे हैं, शायरियां कही जा रही हैं. हर कोई चांद को अपनी मेहबूबा की खूबसूरती से जोड़कर देखता है. हालांकि, कुछ ही गीतकारों ने इस बात का जिक्र किया कि चांद में दाग हो सकता है, पर उसकी प्रेमिका में कोई दाग नहीं है! चांद के गड्ढों को उसके ऊपर लगे दाग की तरह देखा जाता है. धरती से जब आप पूर्ण चंद्रमा को देखते होंगे, तो ये गड्ढे, बड़े धब्बों की तरह नजर आते होंगे. आपने हाल ही में चंद्रयान की लैंडिंग देखी होगी, चांद की तस्वीरें देखी होंगी, उनमें भी आपको ये गड्ढे (Why Moon Have Craters) दिखे होंगे. तो क्या आपने कभी सोचा है कि आखिर चांद में इतने गड्ढे क्यों हैं, और उन्हें किसने बनाया है?

सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म कोरा एक कमाल की जगह है, क्योंकि यहां पर लोग अनोखे सवाल पूछते हैं और आम लोग उनके जवाब देते हैं. हालांकि, इन जवाबों को पूर्ण रूप से सही नहीं माना जा सकता क्योंकि वो एक्सपर्ट्स के हवाले से नहीं आते. इस वजह से जब भी हम आपको कोरा से जुड़े किसी सवाल के बारे में बताते हैं, तो उसके साथ ये भी बताते हैं कि एक्सपर्ट और विश्वस्नीय सोर्स उन सवालों के जवाब के बारे में क्या कहते हैं. हाल ही में किसी ने कोरा पर सवाल किया- “चांद पर इतने गड्ढे क्यों हैं?” (Why moon have craters who made them) अब सवाल तो छोटा और आसान सा ही है, पर इसका जवाब काफी रोचक है. चलिए सबसे पहले बताते हैं कि लोगों ने इस सवाल का क्या उत्तर दिया.

सोशल मीडिया पर लोगों ने क्या दिए जवाब?
राघव सिंह लिखते हैं- “हमरा अंतरिक्ष एक बेहद खतरनाक स्थान है. यहां अनगिनत संख्या में छोटे बड़े पत्थर घूम रहे हैं जिन्हें हम उल्का पिंड कहते हैं. ये इंसानी बाल के बराबर से लेकर हिमालय के पहाड़ों जितने बड़े हो सकते. वैसे ये मूलतः तो मंगल तथा बृहस्पति की कक्षा के बीच में विराजमान हैं लेकिन इनमें से अनगिनत पिंड अपने रास्ते से भटक कर अन्य ग्रहों तथा उपग्रहो का चक्कर काटते रहते है तथा उनसे टकराते रहते हैं. औसतन प्रतिदिन पृथ्वी पर 2.5 करोड़ छोटे बड़े पिंड प्रवेश करते हैं लेकिन इनमे से अधिकांश पृथ्वी की वायुमंडल में जल कर खाक हो जाते है और सतह तक नहीं पहुंच पाते है, लेकिन चंद्रमा पर उसे बचाने के लिए कोई वायुमंडल नहीं है अतः जितने भी पिंड चांद पर प्रवेश करते हैं वो सारे पिंड बड़ी प्रचंडता से चंद्रमा की सतह से टकराते है और फल स्वरूप वहां एक गड्ढा बन जाता है. चांद को सतह का सबसे बड़ा गड्ढे का व्यास 2500 किमी है तथा 8 किमी गहरा है.

गौरव चिकारा नाम के शख्स ने कहा- “चांद पर उल्का पिंडों के गिरने की वजह से गड्ढों का निर्माण हुआ है. पृथ्वी पर भी रोजाना हजारों-लाखों उल्का पिंड गिरते रहते हैं, परंतु पृथ्वी पर वायुमंडल की मौजूदगी के कारण सामान्यतः कोई हानि नहीं होती है. इसका कारण यह है कि पृथ्वी पर गिरते समय जब ये वायुमंडल में प्रवेश करते हैं तो वायु की रगड़ से इनमें आग लग जाती है और पृथ्वी की सतह पर पहुंचने से पहले ही नष्ट हो जाते हैं. परंतु चांद पर वायुमंडल न होने की वजह से जब कोई उल्का पिंड गिरता है तो अपने आकार से कई गुना बड़ा गड्ढा कर देता है.”

क्या कहती है नासा की रिपोर्ट?
इन जवाबों को पढ़कर आप समझ गए होंगे कि दोनों ने एक जैसी ही बातें कही हैं. अब सवाल उठता है कि असल में इसका जवाब क्या है? नासा की रिपोर्ट ऊपर दिए जवाबों को सही बताती हैं. रिपोर्ट के मुताबिक ये गड्ढे उल्कापिंडों से बने हैं जो करोड़ों सालों से चांद पर गिर रहे हैं. चांद पर कोई वायुमंडल नहीं है, पेड़-पौधे नहीं हैं, पानी नहीं है, हवा नहीं है, इस वजह से जो गड्ढे बन गए, वो हमेशा बने रह जाते हैं.

AROUND THE WEB

Bollywood

Featured