बिजली के लिए दर-दर भटक रहा था किसान, मुर्गी की मदद से मिली बिजली, जानिए क्या हैं पूरा मामला
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गांव सिलानी केशो निवासी किसान रामेहर को बिजली निगम के कई चक्कर लगाने के बावजूद कनेक्शन नहीं मिला तो उसने तय किया कि खुद बिजली उत्पादित करेंगे। कृषि अधिकारियों के सहयोग से 20 हजार मुर्गियों की हैचरी लगाई और पहले रसोई गैस बना कर घर का काम चलाया। किसान ने फार्म हाउस में पल रही मुर्गियों की बीट का ऐसा इस्तेमाल किया कि आज उसके आविष्कार को देखने के लिए देश के अलावा विदेश से भी आ रहे हैं।
किसान रामेहर की ख्याति हरियाणा के अलावा विदेशों में भी पहुंच गई है। सेना से सूबेदार के पद सेवानिवृत्त हुए रामेहर ने अपने मुर्गी फार्म में मुर्गियों की बीट में 150 किलोवाट बिजली का उत्पादन ही नहीं बल्कि उससे बनने वाली गैस से घर व हैचरी में बिजली की जरूरत से निजात दिलाई। मुर्गी की बीट से बनने वाली मीथेन गैस से जनरेटर चलाकर बिजली का उत्पादन कर रहे हैं।
उन्होंने बताया कि 10 अगस्त 2010 में पहले अपने मुर्गी फार्म में 85-85 क्यूबिक मीटर के दो टैंक बनाकर उसमें गैस का उत्पादन शुरू किया। इसमें 50 प्रतिशत डीजल में 50 प्रतिशत प्लांट में बनाई गैस से जनरेटर चलाने में सफलता प्राप्त की। उस समय वह 30 किलोवाट बिजली का उत्पादन करता था। इसके बाद उसने पीछे मुड़कर नहीं देखा और कामयाबी मिलती गई। किसान ने वर्ष 2011 में 160 क्यूबिक मीटर का एक डाइजेस्टर टैंक बनाया, जिससे गैस का उत्पादन शुरू होने के बाद उसने मात्र गैस से चलने वाले 62 किलोवाट बिजली उत्पादन वाले जनरेटर को खरीदकर उसे गैस से चलाया। अब इससे 50 किलोवाट बिजली पैदा हो रही है। यहां पर 240 क्यूबिक मीटर का एक और टैंक बनाकर बिजली के क्षेत्र में पूरी तरह से आत्मनिर्भर हो चुका है।
रामेहर के पुत्रों ने गांव डावला व किरडौद में मुर्गी फार्म में बिजली उत्पादन कर लाखों को बिजली बिल बचा रहे हैं। उनके पुत्र जगबीर ने डावला के मुर्गी फार्म में दो डायजेस्टर लगा रखे हैं जो कि 24 घंटे बिजली उत्पादन करते हैं। गाव किरडौद में उनके दूसरे पुत्र सुखबीर व रणवीर सिंह ने मुर्गी फार्म में चार डायजेस्टर लगा रखे हैं, जो कि 24 घंटे से ज्यादा समय तक फार्म में बिजली का उत्पादन कर रहे हैं। सूबेदार रामेहर ने बताया कि मुर्गी की बीट से सीएनजी पैदा करने की कोशिश की थी, लेकिन वह सफल नहीं हो पाया।