आखिर कनॉट प्लेस में आई, ज, ओ ब्लॉक ना बनने का कारण क्या है, इसका इतिहास कर देगा आप सभी को हैरान

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आखिर कनॉट प्लेस में आई, ज, ओ ब्लॉक ना बनने का कारण क्या है, इसका इतिहास कर देगा आप सभी को हैरान

Cannaught place


Haryana khabar नई दिल्ली भारत की राजधानी है। यह भारत सरकार और राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली सरकार के केंद्र के रूप में कार्य करती है। नई दिल्ली दिल्ली महानगर के भीतर स्थित है, और यह दिल्ली संघ राज्य क्षेत्र के ग्यारह ज़िलों में से एक है। भारत पर अंग्रेज शासनकाल के दौरान सन् 1911 तक भारत की राजधानी कलकत्ता था, लेकिन पिछले 2 शतक से दिल्ली का स्वरुप बिल्कुल बदल चुका है। इस शहर की सबसे बड़ी ख़ासियत ये है कि ये आज ऐतिहासिक और मॉर्डन युग की पहचान बन चुका है। आज देश का दिल दिल्ली बन चुका है तो वहीं दिल्ली का दिल कनॉट प्लेस है। यह पीछे कई 90 साल से इस दिल्ली के आकर्षण का केंद्र बना हुआ है।

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कनॉट प्लेस जो अपने आप मे एक अलग पहचान रखता है यह दिल्ली के दिल के रूप मे माना जाता है यह एक ऐसी जगह गई जो कि लोगों को काफी आकर्षित करता है। अब बात आती है कि इसकी शुरूवात कैसे हुई तो बता दे इसकी नीव प्रथम ड्यूक प्रिंस आर्थर ने रखी थी। उनके नाम पर ही यह नीव रखी गयी थी। सन 1920 के दशक में ब्रिटिश आर्किटेक्ट रॉबर्ट टोर रसेल ने ‘कनॉट प्लेस’ का डिज़ाइन तैयार किया था, लेकिन इसका निर्माण 1929 से शुरू किया गया था। सन 1933 में ‘कनॉट प्लेस’ बनकर तैयार हो गया था
आर्किटेक्ट रॉबर्ट टोर रसेल ने प्रिंस आर्थर के सामने जिस जगह पर आज ‘सेंट्रल पार्क’ वहां पर ‘नई दिल्ली रेलवे स्टेशन’ बनाने का प्रस्ताव रखा था, लेकिन प्रिंस आर्थर ने इसे ‘लुटियंस दिल्ली’ के शोपीस के रूप में एक प्रमुख व्यापार केंद्र के तौर विकसित करना चाहते थे। इसलिए उनके कहने पर ‘नई दिल्ली रेलवे स्टेशन’ रेलवे स्टेशन का प्रस्ताव पहाड़गंज शिफ़्ट किया गया था।
सरदार सोबा सिंह वही शख़्स थे जिन्होंने ‘राष्ट्रपति भवन’, ‘सिंधिया हाउस’, ‘रीगल बिल्डिंग’, ‘वॉर मेमोरियल’ समेत कई ऐतिहासिक भवनों का निर्माण किया था। इस दौरान कनॉट प्लेस के निर्माणकार्य के लिए ख़ासतौर पर राजस्थान से मज़दूर बुलाए गए थे, जिन्हें प्रतिदिन 1 की मज़दूरी मिलती थी।
आपको बता दें कि दिल्ली के दिल कनॉट प्लेस में ए से लेकर पी तक 13 ब्लॉक बनाए गए हैं। तो वही यह ब्लॉक इन असलकर में बनाए गए हैं। ए, बी, सी, डी, ई, एफ और आउटर सर्कल की बात करें तो 6 ब्लॉक इसमें बनाए गए हैं। जी, एच, के, एल एम, एन सभी ब्लॉक 1933 में बनकर तैयार हो गए थे, लेकिन पी ब्लॉक थोड़े दिनों बाद बना था अब सवाल उठता है, कि आखिर आई, जी, ओ ब्लॉक क्यों नहीं बनाया गया। Canaught place
हालांकि, किसी के भी पास इसका कोई ठोस जवाब नहीं है। यहां तक कि इसके पीछे कोई ऐतिहासिक कारण भी नहीं बताया गया है, लेकिन आर्किटेक्ट इसके पीछे की असल वजह I, J, O और 1, 7, 0 को सामान दिखना मानते हैं. इसी तरह दुनिया के अधिकतर देशों में भी I, O, Z ब्लॉक नहीं बनाये जाते हैं।
दरअसल, 20वीं सदी में नंबर्स कम्प्यूटराईज नहीं हुआ करते थे। लिखाई के सभी कार्य हाथों से ही हुआ करते थे। सभी नंबर्स एक एक करके हाथों से लिखे जाते थे। ऐसे में अधिकतर लोग जल्दबाज़ी में I, J, O, Z को 1, 7, 0, 2 समझ बैठते थे। यही कारण है कि भारत में अक्सर बैंक अपने ग्राहकों को भेजे जाने वाले अल्फ़ान्यूमेरिक पासवर्ड में आमतौर पर I या O अक्षरों और 1 या 0 अंकों का उपयोग नहीं करते हैं।

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