सड़कों पर झाड़ू लगाने वाली आशा बनी RAS अधिकारी, जाने उनकी संघर्ष की कहानी
![आशा कांतारा](https://haryanakhabar.com/static/c1e/client/101420/uploaded/00cc2a877078b793448bd1cc29e0eb55.jpg)
Haryana khabar news ( Haryana)जब कोई महिला अपने मन में ठान लेती है कि उसे उस मुकाम पर पहुंचना है और उस चीज को हासिल करना है। तो वह दिन रात एक कर देती है और हिम्मत करने वालों की कभी हार नहीं होती। इस पंक्ति को भी सच कर कर दिखाती है और शायद यही पंक्ति को अपने दिल में रखकर जोधपुर(Jodhpur) की आशा(Asha) कंडारा ने इस पंक्ति को अपनी जिंदगी में उतारा और सच किया।
बता दें कि जोधपुर में एक नगर निगम उत्तर (Nagar Nigam) में बतौर सफाई कर्मी का काम कर रही थी और वह अपने कार्य इतनी ज्यादा पूर्ण थी कि वह काम के साथ-साथ पढ़ाई भी करती थी। वही राजस्थान प्रशासनिक सेवा में सफल होकर सबके आगे यह बता दिया कि कोई भी काम बड़ा या छोटा नहीं होता और कोई भी किसी भी काम को कर सकता है।
बस करने की लगन और मेहनत होनी चाहिए। वही जोधपुर की सड़कों पर झाड़ू लगाने वाली आशा अब राजस्थान(Rajasthan) प्रशासनिक सेवा के लिए चयनित भी हो गई है।
2018 में जोधपुर नगर निगम के लिए स्थाई कर्मचारी की परीक्षा को दिया और उसमें पास होगी। कंदारा में सफाई कर्मी के रूप में उनकी ड्यूटी निभाने के साथ-साथ आरएएस( RAS exam) परीक्षा की तैयारी भी उन्होंने शुरू कर दी थी। वही अगस्त 2018 में प्रारंभिक परीक्षा उत्तीर्ण की ओर से इससे वह अंतिम परीक्षा की तैयारी के लिए प्रोत्साहित हो गई।
वही इनकी सफलता का एक बेहतरीन उदाहरण है कि कड़ी मेहनत का कोई विकल्प नहीं है। दो बच्चों की मां कंडारा में राजस्थान प्रशासनिक सेवा परीक्षा 2008 उत्तीर्ण। इनकी वही इस परीक्षा के परिणाम में देरी हुई और आखिरकार 13 जुलाई 2021 को जब नतीजा सभी के सामने आया। उसमें आशा का नाम था और उन्होंने सफलता हासिल करी।
जब यह नतीजा घोषित हुआ तब आशा अकेले ही अपने बच्चों को संभाल रही थी, क्योंकि कुछ वर्ष पहले ही वह और उनके पति दोनों एक दूसरे से अलग हो गए थे। वही जब उनसे शादी टूटने का कारण पूछा तो उन्होंने बताया कि जातिगत भेदभाव से लेकर लैंगिक पूर्वाग्रह तक बहुत कुछ सहना पड़ा लेकिन मैंने कभी खुद को दुख में नहीं डूबा ने दिया और इसकी बजाय लड़ने का फैसला किया है और मैं हमेशा आगे बढ़ने का ही सोचूंगी।