बूंद बूंद के लिए आखिर क्यों तरस रही है दिल्ली, हरियाणा सरकार और खनन माफिया की ऐसी हरकतों से सूखकर कांटा हो जाएगी दिल्ली

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बूंद बूंद के लिए आखिर क्यों तरस रही है दिल्ली, हरियाणा सरकार और खनन माफिया की ऐसी हरकतों से सूखकर कांटा हो जाएगी दिल्ली

Delhi


दिल्ली में जल संकट बहुत बड़ा मोड लेता जा रहा है। जल संकट एक बहुत बड़े मुद्दे की तरह दिल्ली में गूंज रहा है। जिसके चलते जल बोर्ड के उपाध्यक्ष सौरभ भारद्वाज हाल ही में वजीराबाद बैराज का दौरा करने गए। जिसके बाद उनका कहना है कि दिल्ली में जल संकट गर्मी की वजह से नहीं बल्कि हरियाणा से दिल्ली में आने वाली यमुना में खनन माफियाओं के कब्जे की वजह से हो रहा है और उस झूठ को छुपाने के लिए गर्मी की वजह डाल दी है।
अवैध रेत माफियाओं ने हरियाणा के मेमानपुर और सोनीपत में यमुना पर पुल बनाकर दिल्ली आने वाले पानी को रोक दिया है। जिसके बाद उनका कहना है कि हथिनी कुंड बैराज से पहले यमुना का हिस्सा हरियाणा सरकार के हाथों में आता है और उनके हाथों में यह भी है कि कितना पानी दिल्ली तक दिया जाना चाहिए। ताजेवाला बैराज पर यह कंट्रोल किया जाता है कि कितना पानी दिल्ली वालों को छोड़ना है और कितना हरियाणा के लोगों के लिए सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट से कई बार यह आदेश भी आए हैं कितना पानी छोड़ा जाना चाहिए कि दिल्ली के अंतिम छोर पर पहुंचने तक यमुना का पानी एक तिहाई हो। उसके बावजूद भी दो तिहाई पानी भरकर और भाप बनकर बर्बाद हो रहा है। 
Saurabh Bhardwaj
जिसके बाद गलत काम यह रेत माफिया कर रहे हैं और यमुना नदी के बहाव को रोककर छोटे-छोटे ब्रिज बनाए जा रहे हैं। ताकि पानी ना होने से यमुना नदी एक और छोर पर यूपी है और दूसरे पर हरियाणा है। खनन माफिया यूपी की तरफ प्रेत इकट्ठे करते हैं लेकिन वहां खेत होने के कारण इसे ले जाया नहीं सकता। इसलिए पुल के जरिए ट्रकों में रेत भरकर इसे हरियाणा पहुंचाते हैं। थोड़ी जगह इकट्ठा भी हो रहा है , जिसकी वजह से नदी का बहाव एकदम रुक गया है। जिस वजह से दिल्ली तक नदी का पानी पहुंच ही नहीं पा रहा है।
उपाध्यक्ष का कहना है कि खनन माफिया दिनदहाड़े रेत की स्मगलिंग कर रहे हैं लेकिन हरियाणा सरकार अभी भी स्मगलिंग करने के मौके पर मौके दे रही है। जबकि हरियाणा सरकार को इस पर कार्यवाही करनी चाहिए अगर हरियाणा सरकार इन खनन माफियाओं पर रोक नहीं लगाएगी तो दिल्ली प्यासी रह जाएगी और अगर दिल्ली प्यासी रह गई तो सबसे बड़ी गलती हरियाणा सरकार की होगी।
Yamuna
अगर यमुना की गहराई की बात करें तो 3.5 फीट होनी चाहिए। लेकिन एक सीट भी गहराई नहीं है। वही पानीपत का औद्योगिक एक जल दिल्ली में छोड़ा जा रहा है। पहले हम यमुना से रोजाना आठ 83 एमजीडी पानी निकाल पाते थे लेकिन आप सिर्फ चार से 5 एमजीडी पानी निकाल पा रहे हैं।

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