हरियाणा का यह गांव अब जाकर हुआ आज़ाद, 72 साल बाद बदली किस्मत , रोडवेज की बस से बदली गांव की पहचान

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हरियाणा का यह गांव अब जाकर हुआ आज़ाद, 72 साल बाद बदली किस्मत , रोडवेज की बस से बदली गांव की पहचान

बस सेवा


हरियाणा में आज एक ऐसा गांव है जो बिल्कुल अनोखा गांव कहलाता है और उस गांव का नाम है फतेहाबाद। यह एक ऐसा गांव है जहां पर आजादी के 72 साल बाद रोडवेज की बस चलनी शुरू हुई है जी हां सुनने में यह बेहद हैरानी वाली बात लगती है कि जहां इस समय हर गांव आगे बढ़ रहा है वहीं यह गांव इतना पीछे क्यों रह गया। दरअसल हरियाणा को बने करीब 66 वर्ष बीत चुके हैं और इन 6 वर्षों में हरियाणा देश ही नहीं बल्कि विश्व के मानचित्र पर अपनी पहचान बना रहा है। हरियाणा में आज कोई भी ऐसी चीज नहीं है जो लोगों को ना मिल रही हो सभी तरह की सुविधाएं भी हरियाणा में सभी लोगों को उपलब्ध है। मगर फतेहाबाद जिला में मताना नाम का एक ऐसा गांव है। जहां हम यह कह सकते हैं कि आजाद होने के बाद भी यहां के लोग आजाद नहीं है। क्योंकि आजादी के बाद भी सरकार बस सेवा के तहत कभी भी इस गांव को यह सुविधा मिल ही नहीं पाई।
लेकिन आजादी के 72 वर्ष बाद यह प्रथा टूटी और आखिरकार यहां पर बस सेवा शुरू हो सके। इससे पहले लोगों को गांव में इधर उधर जाने के लिए भी अपने वाहनों का इस्तेमाल करना पड़ता था वरना पैदल अपना रास्ता चुनना पड़ता था लेकिन इस गांव के सभी लोगों ने सरपंचों ने, ग्रामीणों ने मिलकर इस गांव में बस सेवा को शुरू करवाया और आखिरकार वे अपने इस जंग में जीते और इस गांव में रोडवेज बस सेवा भी शुरू हो गई।
Bus सेवा
हरियाणा रोडवेज फतेहाबाद के जीएम शेर सिंह का कहना है कि उनके पास गांव मताना से गांव में बस चलाने के लिए प्रस्ताव आते थे ग्रामीण बहुत ज्यादा परेशान भी थे और उनकी परेशानी को देखते हुए ही गांव में निजी बस का संचालन शुरू हो गया है। आगे भी अगर किसी गांव में बस नहीं जा रही होगी तो उस पर विचार किया जाएगा और उनकी परेशानी को हम जल्द से जल्द दूर करेंगे। क्योंकि आम जनता की परेशानी हमारी परेशानी है और उसको दूर करना हमारा काम है।
धर्मशाला
ग्रामीणों ने भी इतनी बड़ी खुशी के बाद कहा कि फतेहाबाद शहर में महज 6 किलोमीटर दूरी पर इस गांव में कभी भी बसों का आवागमन नहीं हुआ था। इससे गांव के लोगों को बहुत तकलीफ होती थी ना केवल लोगों को बल्कि स्कूल जाने वाले छात्रों को कॉलेज में पढ़ने वाले सभी विद्यार्थियों को अध्यापकों को ऑटो या फिर निजी स्थानों पर शहर आना पड़ता था। ग्रामीणों का कहना है कि इससे पूर्व की पंचायतों ने कभी भी गांव में बस सेवा के लिए प्रयास किया ही नहीं था अब पंचायत द्वारा प्रयास किया गया तो हम इस जंग में जीते और हमने बस सेवा को शुरू भी कराया। अब पूरा गांव और पूरे गांव के लोग इस बस सेवा का लाभ उठाएंगे।

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