ये आईपीएस अधिकारी की कृष्ण भक्ति है अनोखी, मंदिर भी जाति है और नमाज़ भी पढ़ती है , जानिए कैसे कान्हा की दीवानी हुई असलम खान
Haryana khabar : कहां जाता है भक्ति का कोई धर्म नहीं होता इंसान जिस रूप में भी चाहे भगवान की भक्ति कर सकता है। यह भी सुना गया है कि ज्यादा पढ़े-लिखे लोग भक्ति से दूर रहते हैं उसे आडंबर कहते हैं लेकिन कुछ ऐसे तथ्य सामने आए हैं जिसमें यह कहना गलत नहीं होगा कि आज के आईपीएस अधिकारी भक्ति मालिन है किसी को इस भक्ति में राधा कहा गया किसी को इस भक्ति में मीरा कहा गया
ऐसा ही एक और नाम इसमें शामिल हो रहा है यह नाम है गोवा की डीआईजीपी असलम खान का जो अन्य समुदाय से होने के बावजूद भी कृष्ण भक्ति मिली है वह नमाज भी पढ़ती है वह मंदिर भी जाते हैं और अपनी ड्यूटी विभाग को भी निभा रही है
आईपीएस असलम खान ने अपनी जिंदगी में बहुत सारे संघर्ष रखे हैं असलम खान के पिता चाहते थे कि उन्हें बेटा हूं इसलिए उन्होंने अपने बच्चों का नाम पहले ही सोच लिया था बेटी हो जाने के बाद उन्होंने उसका नाम असलम खान ही रख दिया असलम खान के घर की आर्थिक स्थिति कुछ खास नहीं थी इसके बावजूद उनके पिता ने उनके शिक्षा में कोई कमी नहीं की एक ऐसा वक्त आया जब उनके पिता उनके जन्मदिन पर एक चॉकलेट तक नहीं ले पाए थे दुखद बातें हैं
असलम खान 2007 बैच की आईपीएस ऑफिसर है वह सोशल मीडिया साइट पर काफी एक्टिव रहती है वह अपने माता-पिता के साथ अक्सर फोटोस भी अपने फैंस के लिए शेयर करती रहती हैं आईपीएस बनने के बाद उन्हें एजीएमयूटी केडर अलॉट किया गया था उन्होंने 2007 में आईपीएस ऑफिसर पंकज कुमार से शादी की थी फिलहाल दोनों गोवा में पोस्टेड है
असलम खान के दो बच्चे हैं एक बेटी और एक बेटा मजेदार बात यह है कि असलम खान एक बार अपने बैचमेट के साथ जयपुर में स्थित गोविंद देव के मंदिर गई थी वहीं से उनकी कृष्ण भक्ति से प्रभावित हुई और इसके बाद उन्होंने इस भक्ति में खुद को ली करना शुरू कर दियाधर्म में अटूट विश्वास रखने वाली असलम खान नवाज भी पढ़ती है और मंदिर जाकर पूजा भी करते हैं वह हिंदू धर्म को सिर्फ धर्म नहीं बल्कि जीवन शैली मानती हैं सीनियर पुलिस अधिकारी असलम खान अपने व्यवहार को लेकर काफी चर्चा में रहती हैं 2018 में उत्तर पश्चिमी दिल्ली की डीएसपी थी तब
दिल्ली के जहांगीरपुरी में मानसिंह नाम के एक ट्रक ड्राइवर को लूट की नीयत से कत्ल कर दिया गया था मानसिंह पांच लोगों के परिवार में कमाने वाला एकलौता सदस्य था तब से असलम खान अंतर्राष्ट्रीय सीमा पर बसे सुजीतगढ़ गांव में रहने वाले मानसिंह को अपनी तनक का कुछ हिस्सा भेज दिया रहे हैं यह कहानी दिलचस्प साथ ही साथ प्रेरणादायक भी है आप किसी भी धर्म से हो यदि आपको भक्ति में विश्वास है तो आप उसे अपना ही लेते हैं