इस जिले की नगर पालिका ने 1600 बंदर पकड़ने का रखा लक्ष्य, पूरे प्लान पर खर्च होंगे इतने हजार रुपए

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इस जिले की नगर पालिका ने 1600 बंदर पकड़ने का रखा लक्ष्य, पूरे प्लान पर खर्च होंगे इतने हजार रुपए

इस जिले की  नगर पालिका ने 1600 बंदर पकड़ने का रखा लक्ष्य,  पूरे पर  खर्च होंगे इतने हजार  रुपए


इस जिले की  नगर पालिका ने 1600 बंदर पकड़ने का रखा लक्ष्य,  पूरे पर  खर्च होंगे इतने हजार  रुपए

Haryana khabar : नूंह जिले के तावड़ू नगर वासियों को अब बंदरों के आतंक से निजात मिलने जा रहा है.नगर पालिका प्रशासन ने बंदर पकड़ने की अभियान की शुरुआत कर दी है.इसके लिए नगर पालिका प्रशासन द्वारा 20 लाख रुपए खर्च किए जाने का प्लान है.

तावड़ू नगर पालिका ने करीब 1600 बंदरों को पकड़ने का लक्ष्य रखा गया है. इस पर 20 लाख रुपये की रकम खर्च किया जाएगा .तावड़ू नगर पालिका प्रशासन के कनिष्ठ अभियंता राशिद ने बताया कि नगरवासी बंदरों के आतंक से बेहद परेशान है. इस समस्या से निजात पाने के लिए कई बार नगर वासियों की ओर से गुहार लगाई जा चुकी है. सरकारी भवनों में भी बंदरों की अच्छी खासी संख्या देखी जा सकती है लेकिन अब नगर पालिका प्रशासन ने इसका पुख्ता इंतज़ाम कर लिया है.

प्रशासन द्वारा नियम अनुसार एक टेंडर प्रक्रिया अपनाई गई है. जिसमें नगर से 1600 बंदरों को पकड़ने पर करीब 20 लाख रुपए खर्च होंगे. इसके लिए फिलहाल दो टीमों ने काम शुरू कर दिया है,जो अलग-अलग स्थानों पर पिंजरा लगाकर बंदरों को पकड़ने का काम कर रही है.

इस अभियान के तहत पकड़े गए बंदरों को अलवर सरिस्का वन्य जीव केंद्र में छोड़ा जाएगा. इसके लिए सरिस्का वन्य जीव प्रबंधन टीम से समन्वय स्थापित किया गया है. बंदरों को छोड़ने के दौरान भी पूरी प्रक्रिया का पालन किया जाएगा.

बंदरों को सरिस्का जंगल में रेस्क्यू करने के दौरान एक पुलिस जवान सहित नगर पालिका से भी एक कर्मचारी निगरानी के लिए मौजूद रहेगा.जिसकी बाकायदा वीडियोग्राफी भी कराई जाएगी.बन्दर पकड़ने वाली टीम को 2 साल तक का समय दिया गया है. इस समय सीमा के अंतर्गत नगर से सभी बंदरों को पकड़ कर सरिस्का में छोड़ना है.

कुल मिलाकर कह सकते हैं कि नगर वासियों को एक बड़ी समस्या से निजात मिलने जा रहा है. पिछले काफी समय से तावडू शहर की गली मोहल्लों और सरकारी भवनों में बड़ी संख्या में बंदरों की मौजूदगी है. जहां पर इनका आतंक जग ज़ाहिर है. कई बार नगर वासियों पर हमला कर चुके हैं.

पूर्व में भी एक महिला इन बंदरों के डर की वजह से छत से गिरकर चोटिल हो गई थी, जिसकी बाद में मौत हो गई थी.दर्जनों बार छोटे-बड़े बच्चे और बुजुर्ग बंदरों के हमले के शिकार हो चुके हैं.

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