शहीद मेजर आशीष का सैन्य सम्मान के साथ अंतिम संस्कार, अंतिम यात्रा में हाथ जोड़े रहीं मां, बहन करती रही सैल्यूट
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Haryana khabar : कश्मीर के अनंतनाग में 13 सितंबर को आतंकियों से मुठभेड़ में शहीद मेजर आशीष धौंचक (36) का अंतिम संस्कार उनके पैतृक गांव बिंझौल में हुआ। मेजर आशीष को उनके भाई मेजर विकास ने मुखाग्नि दी। अंतिम संस्कार से पहले सिख रेजीमेंट के जवानों ने उन्हें गन सैल्यूट दिया।
इसके पहले, उनकी अंतिम यात्रा में एक किलोमीटर लंबे काफिले में करीब 10 हजार लोग शामिल हुए। शहीद को विदाई देने के लिए सड़क के दोनों तरफ लोगों की भारी भीड़ थी। दोनों तरफ खड़े लोगों ने फूल बरसाकर आशीष को विदा किया।
अंतिम यात्रा के साथ शहीद मेजर आशीष की बहनें और मां भी बिंझौल आईं। मां पूरे रास्ते हाथ जोड़े रहीं, जबकि बहन भाई को सैल्यूट करती रही। जब भास्कर ने उनसे बात की तो उन्होंने सिर्फ इतना कहा कि मेरा भाई हमारा और देश का गर्व है।
शहीद मेजर आशीष के पार्थिव शरीर को शुक्रवार (15 सितबंर) की सुबह पानीपत के TDI सिटी स्थित उनके नए मकान में लाया गया। जिसे आशीष दो साल से बनवा रहे थे। अक्टूबर में अपने जन्मदिन पर जागरण के साथ गृह प्रवेश करना था। आज उसी मकान में उसके पार्थिव शरीर को लाया गया। आशीष के पिता लालचंद NFL से रिटायरमेंट के बाद सेक्टर-7 में किराए के मकान में रहते हैं।
देखिए शहीद मेजर की अंतिम विदाई....
अंतिम संस्कार की रस्में पूरी होने के बाद शहीद मेजर की चिता पर लकड़ियां रखते गांव के लोग।
मेजर आशीष की बहन उनकी 2 साल की बेटी को लेकर श्मशान घाट पहुंचीं।
शहीद को श्रद्धांजलि देने उमड़ा जनसैलाब; मुख्यमंत्री की तरफ से DC वीरेंद्र दहिया ने शोक संदेश पढ़कर श्रद्धाजंलि दी।
शहीद मेजर आशीष की अंतिम यात्रा पैतृक गांव पहुंचने के बाद अंतिम संस्कार के लिए निकली, जिसमें उनके परिजन भी शामिल रहे।
जिस ट्रक में शहीद मेजर आशीष का पार्थिव शरीर ले जाया जा रहा है। उस पर जगह-जगह पर लोग फूल बरसाए गए।
शहीद मेजर आशीष की अंतिम यात्रा के पीछे एक किमी लंबा काफिला चला। अनुमान के मुताबिक इसमें दस हजार से ज्यादा लोग शामिल थे।
अंतिम यात्रा में साथ चल रहीं आशीष की मां लगातार हाथ जोड़े हुए हैं, जबकि बहन अपने शहीद भाई को सैल्यूट करती रहीं।
सेना के जवान शुक्रवार सुबह 8 बजे शहीद मेजर आशीष के पार्थिव शरीर को उनके घर लाए।