लेटे हुए हनुमान जी का मशहूर मंदिर का रोचक इतिहास, अपनी खासियत से बना पर्यटक स्थल।

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लेटे हुए हनुमान जी का मशहूर मंदिर का रोचक इतिहास, अपनी खासियत से बना पर्यटक स्थल।

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Haryana Khabar : मंगलवार को हनुमान जी का शुभ दिन माना जाता है । आपने ऐसे तो कई हनुमान जी के मंदिर देखे होंगे। आज हम आपको बताने जा रहे हैं कि जयपुर शहर में हनुमान जी मंदिर की अपनी एक अलग ही पहचान है। हनुमान जी के मंदिर को देखने के लिए देश-विदेश से पर्यटक और श्रद्धालु की काफी तादात में लोगों की भीड़ अति है बता दें,कि यहां की प्रकृति का मनोरम देखने के लिए लोग दूर-दूर से आते हैं।
वैसे तो यहां बहुत से मंदिर है। लेकिन इस मंदिर की एक अलग ही खासियत है इसलिए लोग इस मंदिर को देखना ज्यादा पसंद करते हैं।

मंदिर की खासियत।

दरअसल आपको बता दें कि 60 दशक पुराना खोले के हनुमानजी का यह मंदिर रामगढ़ मोड के पास राष्ट्रीय राजमार्ग सं-8 से लगभग 2 किमी की दूरी पर अंदर है। इस मंदिर का भव्य मुख्यद्वार राजमार्ग पर ही है। यह प्राचीन दुर्ग शैली में बनी नवीन इमारत है। हालांकि श्रद्धालुओं के लिए के मंदिर के सामने एक बड़ा-सा खुला चौक है और साथ ही दरवाजे के  दायीं ओर पंडित राधेलाल चौबे की संगमरमर की सुंदर समाधि स्थापित है।

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खोले के हनुमान जी के मंदिर में वैसे तो हमेशा से ही श्रद्धालुओं की भीड़ रहती हैं। लेकिन खास कर मंगलवार और शनिवार को यहां भक्तों का सैलाब उमड़ता है। कयोंकि काफी मात्रा में लोग यहां पर मन्नत मांगने आते हैं  मन्नत पूरी होते ही यहां इस मंदिर के दरबार में गोठ का आयोजन करवाया जाता है। अन्नकूट के अवसर पर यहां लक्खी मेला लगता है।

मंदिर का प्राचीन इतिहास।

हालांकि इस मंदिर का इतिहास काफी पुरानी बताया जाता है।बता दें, कि एक साहसी ब्राह्मण ने 60 के दशक में शहर की पूर्वी पहाड़ों पर लेटे हुए हनुमानजी की विशाल मूर्ति की खोज निकाली थी। बता दें, कि शहर की पूर्वी पहाडियों की खोह में बहते बरसाती नाले और पहाडों के बीच में निर्जन स्थान में जंगली जानवरों के डर से लोग यहां पर आ भी नही पाते।

बता दें कि इस मंदिर को यहां पर देखकर उस ब्राह्मण ने इसकी पूजा अर्चना करना शुरू कर दिया  और जान जाने चेतन तक उन्होंने वह जगह नहीं छोड़ी और उनकी पूजा करते रहे। हालांकि यह निर्जन स्थान आज सुरम्य का दर्शनीय स्थल बन गया है। जब यह स्थान निर्जन था। तब पहाड़ों की खोह से यहां बरसात का पानी खोले के रूप में बहता था। इसीलिए मंदिर का नाम खोले के हनुमानजी पड़ गया।

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