क्या आपका आधार कार्ड तो नहीं है नकली , जानने के लिए फॉलो करे ये टिप्स

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क्या आपका आधार कार्ड तो नहीं है नकली , जानने के लिए फॉलो करे ये टिप्स

एक दिन मशहूर राइटर सुमित्रानंदन पंत उनके घर नवजात बच्चे को देखने पहुंचे। जब उन्हें पता चला कि हरिवंश राय बच्चन ने बेटे का नाम इंकलाब रखा है तो उन्होंने नाम बदलकर अमिताभ करवा दिया। अमिताभ का अर्थ है- अत्यंत तेजस्वी या गुणवान । अमिताभ का असली सरनेम श्रीवास्तव है।  उनके पिता हरिवंशराय बच्चन ने बतौर राइटर अपना पेन नेम बच्चन रखा था, जो आगे जाकर उनका सरनेम बन गया। इसे उनके बच्चों ने भी फॉलो किया।  बचपन में अमिताभ राजीव गांधी और संजय गांधी के साथ खेला करते थे। इलाहाबाद के बॉयज हाई स्कूल और नैनीताल के शेरवुड कॉलेज से पढ़ाई करने के बाद उन्होंने दिल्ली यूनिवर्सिटी के किरोड़ीमल कॉलेज में आर्ट्स की मास्टर डिग्री ली। 1963 में 21 साल की उम्र में अमिताभ बच्चन नौकरी की तलाश में इलाहाबाद से कोलकाता आ गए। कोलकाता की बड़ी शॉ वैलेस नाम की शराब कंपनी में उन्हें क्लर्क की नौकरी भी मिल गई। यहां से निकले तो शिपिंग फर्म बर्ड एंड कंपनी काम मिल गया। कुछ समय के लिए उन्होंने ICI कंपनी में भी काम किया, जहां उनकी चंद्रा नाम की महाराष्ट्रियन लड़की से मुलाकात हुई। अमिताभ उस लड़की के सीनियर थे। उनकी तनख्वाह 1500 रुपए थी और चंद्रा की महज 400 |  साथ काम करते हुए दोनों को प्यार हो गया। ये उनकी पहली मोहब्बत थी। अमिताभ ने जब उनसे शादी के लिए इजहार किया, तो उन्होंने साफ इनकार कर दिया। इस बात से वो बुरी तरह टूट गए। दिल टूटने पर उन्होंने तुरंत नौकरी छोड़ दी, जिससे उन्हें 26 दिन की तनख्वाह भी नहीं मिली। नौकरी के बाद शहर भी छोड़ना था, तो वो सीधे कोलकाता से बॉम्बे (अब मुंबई) पहुंच गए।  रेडियो स्टेशन में नौकरी मांगी तो कहा गया- तुम्हारी आवाज सुनकर लोग भाग जाएंगे।  मुंबई पहुंचकर अमिताभ बच्चन नौकरी के लिए एक दफ्तर से दूसरे दफ्तर चक्कर लगाते रहे। हर जगह से रिजेक्शन ही हाथ आया। एक बार वो एक रेडियो स्टेशन में नौकरी मांगने पहुंच  रेडियो स्टेशन में नौकरी मांगी तो कहा गया- तुम्हारी आवाज  सुनकर लोग भाग जाएंगे।  मुंबई पहुंचकर अमिताभ बच्चन नौकरी के लिए एक दफ्तर से दूसरे दफ्तर चक्कर लगाते रहे। हर जगह से रिजेक्शन ही हाथ आया। एक बार वो एक रेडियो स्टेशन में नौकरी मांगने पहुंच गए। रेडियो में सिर्फ आवाज का ही काम था, तो उस समय मशहूर आवाज रहे अमीन सयानी ने उनका ऑडिशन लिया। आवाज सुनते ही अमीन बोल पड़े- तुम्हारी आवाज बहुत भारी है, लोग इसे सुनकर भाग जाएंगे।हरिवंशराय बच्चन चाहते थे कि अमिताभ कोई ढंग की नौकरी करें, लेकिन उन्हें अभिनय में दिलचस्पी थी। हालांकि, उनके बड़े भाई अजिताभ उनके मन में पनप रहे हीरो बनने के ख्वाब को अच्छी तरह जानते थे। एक दिन अजिताभ मुंबई से दिल्ली आ रहे थे कि सफर में पास बैठे एक लड़के से पता चला कि ख्वाजा अब्बास अपनी फिल्म के लिए नए चेहरे की तलाश में हैं।  अजिताभ ने तुरंत अपने बैग से भाई की तस्वीर निकाली और उस लड़के को थमा दी । कह दिया कि ये तस्वीर उन तक पहुंचा दो, साथ ही उनसे संपर्क करने के लिए नंबर भी लिखा। अगले दिन तस्वीर ख्वाजा अहमद अब्बास तक पहुंची और उन्होंने तुरंत उन्हें मिलने बुला लिया। अमिताभ उस समय दिल्ली में थे, जो एक कॉल आते ही मुंबई पहुंच गए।  सफेद कसा हुआ चूड़ीदार, सफेद कुर्ता और साथ में नेहरू जैकेट और एक झोला लिए अमिताभ ख्वाजा अहमद अब्बास के दफ्तर पहुंचे। जैसे ही अमिताभ ने अपना नाम बताया तो सवाल-जवाब का सिलसिला शुरू हो गया।   1969 से शुरू हुआ अमिताभ बच्चन का एक्टिंग सफर भी आसान नहीं रहा। उनकी फिल्में लगातार फ्लॉप होती रहीं, तो वहीं कुछ लोग उन्हें साइड हीरो बनाकर ही काम देते थे, लेकिन 1973 की फिल्म जंजीर ने उनकी किस्मत हमेशा के लिए बदल दी। हालांकि, ये फिल्म उन्हें एक संयोग से मिली।  दरअसल, फिल्म की कहानी सलीम-जावेद की राइटर जोड़ी ने लिखी थी। उस समय धर्मेंद्र को स्क्रिप्ट पसंद आई और उन्होंने ये स्क्रिप्ट खरीद ली। ठीक उसी समय डायरेक्टर प्रकाश मेहरा ने फिल्म समाधि की स्क्रिप्ट धर्मेंद्र को पढ़ाई। वो स्टोरी उन्हें इतनी पसंद आई कि उन्होंने जंजीर की स्क्रिप्ट प्रकाश मेहरा को देकर उनसे समाधि की स्क्रिप्ट ले ली।  प्रकाश मेहरा ने वो स्क्रिप्ट तो ले ली, लेकिन उनके हीरो धर्मेंद्र पहले ही फिल्म समाधि में व्यस्त हो चुके थे। अब उन्होंने नए हीरो की तलाश शुरू कर दी । देव आनंद ने कहा फिल्म में गाने कम हैं और राजकुमार ने व्यस्त होने का हवाला देकर फिल्म करने से इनकार कर दिया। तलाश जारी ही थी कि एक दिन प्राण नाथ ने प्रकाश मेहरा को कॉल कर कहा कि आपको अमिताभ को साइन करना चाहिए, उसे देखकर लगता है कि वो एक दिन स्टार बनेगा ।  प्रकाश उनकी बात से संतुष्ट नहीं थे क्योंकि अमिताभ की पिछली 12 फिल्में फ्लॉप थीं। हालांकि, उन्होंने प्राण के कहने पर उनकी फिल्म बॉम्बे ट गोवा देखनी शरू कर दी।   जैसे ही फिल्मी गलियारों में खबर फैली कि प्रकाश मेहरा ने फिल्म जंजीर में अमिताभ को कास्ट किया है तो उनकी मकर आलोचना हुई। लोगों ने कहा कि देखना ये फिल्म जरूर फ्लॉप होगी। अमिताभ ने भी इसके जवाब में कह दिया, अगर ये फिल्म नहीं चली तो मैं मुंबई छोड़कर अपने घर इलाहाबाद चला जाऊंगा।  कोई भी हीरोइन अमिताभ के साथ काम करने को राजी नहीं हुई, बमुश्किल मुमताज ने फिल्म साइन कर ली, लेकिन ठीक उसी समय उन्होंने शादी कर फिल्म छोड़ दी। आखिरकार जया जो उस समय अमिताभ की दोस्त थीं, वो फिल्म करने के लिए राजी हो गईं। जैसे-तैसे फिल्म बनी, लेकिन अब इसे डिस्ट्रीब्यूटर्स मिलने बाकी थे। एक डिस्ट्रीब्यूटर ने तो फिल्म देखकर सीधे प्रकाश मेहरा से पूछ लिया कि ये लंबा बेवकूफ हीरो कौन है।  5 रुपए की टिकट को लोगों ने 100 रुपए में खरीदा  मशक्कतों के बाद आखिरकार फिल्म 11 मई 1973 को रिलीज हुई। फिल्म मुंबई में कोई खास कमाल नहीं दिखा सकी। अमिताभ ये जानकर इस कदर नाराज हुए कि उन्हें तेज बुखार आ गया। फिल्म रिलीज के कुछ 4 दिन बीते थे। एक दिन प्रकाश मेहरा ने गेएटी गेलेक्सी थिएटर के बाहर से गुजरते हुए देखा कि टिकट विंडो पर लोगों की भीड़ लगी हुई है और भगदड़ का आलम है। पास जाकर देखा तो फिल्म देखने की होड़ में लोग 5 रुपए की टिकट 100 रुपए में खरीद रहे थे। इससे पहले प्रकाश ने कभी उस थिएटर में इतनी भीड़ नहीं देखी थी।


आज के समय में आधार हमारी पहचान का सबसे अहम दस्तावेज है. इसके बिना किसी भी सरकारी योजना का लाभ मिलना मुश्किल है. लोग अलग-अलग जगहों पर अपनी पहचान स्थापित करने के लिए भी आधार का इस्तेमाल करते हैं। लेकिन आपको यह बात ध्यान रखनी चाहिए कि हर 12 अंक का आधार सही आधार नहीं होता है. इसलिए नकली और असली की पहचान करना जरूरी है। इसलिए आधार का सत्यापन करना जरूरी है

जब आधार का सत्यापन हो जाएगा तो सच्चाई का पता चल जाएगा। यूआईडीएआई की वेबसाइट पर फर्जी आधार डेटा उपलब्ध नहीं है। तो आप तुरंत फर्जी आधार पकड़ पाएंगे. आप आधार को आसानी से ऑनलाइन सत्यापित कर सकते हैं। यूआईडीएआई ने सत्यापन सेवा प्रदान की है। आइये स्टेप बाय स्टेप समझते हैं. आपको बता दें कि देश के किसी भी नागरिक को पूरे जीवन में केवल एक बार आधार नंबर दिया जाता है। UIDAI सभी को आधार जारी करता है.


वेरिफाई करने के लिए आपको सबसे पहले एम-आधार ऐप डाउनलोड करना होगा। इस ऐप के जरिए आप आधार वेरिफाई कर पाएंगे. आधार में एक त्वरित प्रतिक्रिया (क्यूआर) कोड होता है। आप आधार को स्कैन करके वेरिफाई कर सकते हैं. ऐप में आपको आधार वेरिफिकेशन के लिए दो विकल्प मिलते हैं। पहले विकल्प में आप आधार नंबर से वेरिफिकेशन कर सकते हैं. वैकल्पिक रूप से, आप आधार कार्ड पर दिए गए क्यूआर कोड को 'क्यूआर कोड स्कैनर' से स्कैन करके आधार को सत्यापित कर सकते हैं।

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