पूर्व फौजी की बेटी ने पाई SDM की पदवी , जानिए निशा की सपनों की ऊँचाइयों को छूने की कहानी

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पूर्व फौजी की बेटी ने पाई SDM की पदवी , जानिए निशा की सपनों की ऊँचाइयों को छूने की कहानी

जीते


 

HPCS Exam Results 203 : किसान होने के नाते राजबीर अपनी बेटी से उम्मीद कर रहे हैं कि वो अधिकारी बनने के बाद किसानों की समस्याओं को समझे और ऑफिस की बजाए किसानों के बीच जाकर समाधान करे, किसानों को सही राह दिखाए. उनका कहना है कि किसान संकोच के चलते अधिकारियों से मिलने उनके ऑफिस नहीं जाते हैं.

 

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भिवानी. हरियाणा के भिवानी की एक और बेटी ने कमाल कर दिया है. फ़ौजी की ये बेटी ट्रेक्टर चलाकर खेतीबाड़ी करते हुए हरियाणा की सबसे बड़ी HCS की परीक्षा पास कर एसडीएम बनी हैं. अब पिता का सपना है कि बेटी किसानों के पास जाकर उनकी समस्याओं का समाधान करे. भिवानी के लोहारू में फरटिया ताल गांव की बेटी निशा श्योराण ने HCS की परीक्षा में 17वां रैंक हासिल किया है. निशा की इस उपलब्धि पर पूरे गाँव में ख़ुशी का माहौल है. यह गांव हरियाणा के कृषि मंत्री जेपी दलाल के विधानसभा क्षेत्र में आता है.

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ख़ास और बड़ी बात ये है कि निशा पढ़ाई के साथ घर व खेत का काम भी खूब करती हैं. निशा HCS की परीक्षा पास करके भी आज खेत में कपास चुनने का काम करती है. घर से ट्रेक्टर ले जाकर खेत जोत लेती है. निशा की मां टीचर रही हैं और पिता बीएसएफ में हैं.

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नौकरी के दौरान निशा की माँ भी आमतौर पर उसके पिता के साथ रही. निशा और उसका भाई गाँव में अपने चाचा के साथ रहे. यहीं पढ़ाई की और साथ में घर व खेत का जमकर काम किया.

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निशा श्योराण का कहना है कि खेतीबाड़ी उनके परिवार का पुश्तैनी काम है. इसलिए वो भी खेतों में काम करती हैं. उनका संयुक्त परिवार है. उन्हें पढ़ाई के लिए पूरे परिवार का सहयोग मिला और राष्ट्रपति महात्मा की कहावत Be the change you want to see in the world से कुछ अलग और बड़ा करने की प्रेरणा मिली.

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निशा अपनी नियुक्ति पर बहुत खुश हैं और बता रही है कि चयन के बाद पहली कॉल पर यक़ीन नहीं हुआ. साइट पर रिज़ल्ट देखा तो फिर ख़ुशी के मारे नींद नहीं आई. पिता रिटायर्ड फौजी राजबीर श्योराण का कहना है कि निशा की बचपन से ही पढ़ाई में बहुत रुचि थी. वो स्कूल टाइम में टेस्ट में आधा नंबर कटने भी घर और स्कूल में हंगामा कर देती थी.

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किसान होने के नाते राजबीर अपनी बेटी से उम्मीद कर रहे हैं कि वो अधिकारी बनने के बाद किसानों की समस्याओं को समझे और ऑफिस की बजाए किसानों के बीच जाकर समाधान करे, किसानों को सही राह दिखाए. उनका कहना है कि किसान संकोच के चलते अधिकारियों से मिलने उनके ऑफिस नहीं जाते हैं.

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