कांग्रेस छात्र नेता के सस्पेंशन का मामला HC पहुंचा, कैंपस में बीबीसी डॉक्यूमेंट्री चलाने पर, दिल्ली यूनिवर्सिटी ने निलंबित किया
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Haryana khabar : दिल्ली यूनिवर्सिटी (DU) ने PHD स्कॉलर और कांग्रेस छात्र नेता लोकेश चुघ को कैंपस में बीबीसी डॉक्यूमेंट्री की स्क्रीनिंग रखने के मामले में एक साल के लिए सस्पेंड कर दिया था।लोकेश ने यूनिवर्सिटी के आदेश को दिल्ली की एक अदालत में चुनौती दी। कोर्ट ने यूनिवर्सिटी के आदेश को रद्द कर दिया था। अब DU ने कोर्ट के उस आदेश के खिलाफ दिल्ली हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की है। मामले की सुनवाई चीफ जस्टिस सतीश चंद्र शर्मा और जस्टिस नजमी वजीरी की बेंच कर रही है। बेंच ने मामले में यूनिवर्सिटी की अपील पर चुघ को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है। मामले में अगली सुनवाई 14 सितंबर को होगी।
27 जनवरी 2022 को लोकेश ने दिल्ली यूनिवर्सिटी के कैंपस में गुजरात दंगों पर आधारित बीबीसी डॉक्यूमेंट्री की स्क्रीनिंग रखी थी। इस पर 16 फरवरी को लोकेश चुघ को यूनिवर्सिटी की ओर से कारण बताओ नोटिस जारी किया गया था। 10 मार्च 2023 को लोकेश चुघ को यूनिवर्सिटी रजिस्ट्रार की ओर से एक ज्ञापन मिला था। जिसमें बताया गया था कि उन्हें एक साल के लिए सस्पेंड कर दिया था। कोर्ट ने यूनिवर्सिटी से मिले कारण बताओ नोटिस और एग्जान देने पर लगी रोक के आदेश को चुनौती देते हुए एक कोर्ट में याचिका दाखिल की थी।
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इस याचिका पर सुनवाई के दौरान दिल्ली यूनिवर्सिटी की ओर से कोर्ट में कहा गया- कैंपस में डॉक्यूमेंट्री की स्क्रीनिंग अनुशासनहीनता है। चुघ अपनी रिसर्च पर फोकस करने के बजाय कैंपस में राजनीति कर रहे हैं। इसका असर अन्य स्टूडेंट्स पर भी होगा। दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद कोर्ट की सिंगल बेंच ने चुघ के एग्जाम देने पर लगी रोक के आदेश को रद्द कर दिया था। अब यूनिवर्सिटी ने अदालत के उस फैसले को हाईकोर्ट में चुनौती दी है।
17 जनवरी को डॉक्यूमेंट्री का पहला एपिसोड टेलिकास्ट हुआ
BBC ने 17 जनवरी को गुजरात दंगों पर बनी डॉक्यूमेंट्री द मोदी क्वेश्चन का पहला एपिसोड यूट्यूब पर रिलीज किया। दूसरा एपिसोड 24 जनवरी को रिलीज होना था। इससे पहले ही केंद्र सरकार ने पहले एपिसोड को यूट्यूब से हटा दिया।
भारत सरकार ने डॉक्यूमेंट्री को प्रधानमंत्री मोदी और देश के खिलाफ प्रोपेगैंडा बताया है। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने कहा कि हम नहीं जानते कि डॉक्यूमेंट्री के पीछे क्या एजेंडा है, लेकिन यह निष्पक्ष नहीं है। यह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ दुष्प्रचार है।