हरियाणा और दिल्ली के CM आमने-सामने, केजरीवाल बोले- हथिनी कुंड से ज्यादा पानी छोड़ा, जवाब- इसे नियंत्रित नहीं कर सकते, जाने कारण

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हरियाणा और दिल्ली के CM आमने-सामने, केजरीवाल बोले- हथिनी कुंड से ज्यादा पानी छोड़ा, जवाब- इसे नियंत्रित नहीं कर सकते, जाने कारण

सीएम


 Harayan khabar : बाढ़ को लेकर दिल्ली और हरियाणा सरकार आमने सामने आ गई हैं। दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के द्वारा केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह को लिखे लेटर का हरियाणा ने जवाब दिया है। जिसमें कहा है कि हथिनी कुंड एक बैराज है, डैम नहीं है। इसलिए पानी छोड़ने की मात्रा को नियंत्रित नहीं किया जा सकता है।

रिटायर्ड IAS और हरियाणा के मुख्यमंत्री के सलाहकार (सिंचाई) देवेंद्र सिंह ने कहा कि यमुना नदी के जलस्तर बढ़ने को लेकर दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल आधारहीन और तथ्यों से परे बात कर रहे हैं। हथिनी कुंड बैराज से अधिक मात्रा में पानी छोड़े जाने से यमुना का जलस्तर बढ़ने के उनके आरोप पूरी तरह से भ्रामक हैं।

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देवेंद्र सिंह ने बताया कि वास्तविकता यह है कि हथिनी कुंड पर बनी संरचना एक बैराज है जोकि केवल पानी को डाइवर्ट-रेगुलेट करने के लिए है। पानी को सीमित मात्रा में केवल किसी बांध से संचालित किया जा सकता है, बैराज से नहीं।

यहां यह भी बताना जरूरी है कि केंद्रीय जल आयोग के दिशा-निर्देशों अनुसार जो पानी हथिनी कुंड बैराज की सुरक्षा के लिए यमुना नदी में छोड़ा जा रहा है, यह पानी हिमाचल प्रदेश व उत्तराखंड में हुई ज्यादा बारिश का पानी है।

हरियाणा में भी हो रहा नुकसान
सीएम के सिंचाई सलाहकार ने बताया कि इस पानी के कारण हरियाणा के यमुनानगर, करनाल, पानीपत व सोनीपत में भूमि कटाव और जलभराव हुआ है, जिससे राज्य को भारी जानमाल का नुकसान वहन करना पड़ रहा है। यदि सीमित मात्रा में पानी छोड़ने का कोई प्रावधान होता तो यह हरियाणा राज्य के हित में भी होता।

हथिनी कुंड बैराज यमुना नदी पर यमुनानगर में स्थित है। यह बैराज वर्ष 1998-2000 के दौरान पहले बने हुए ताजेवाला बैराज की रिप्लेसमेंट के लिए बनाया गया था। हथिनी कुंड पर स्थित संरचना, एक ढांचा बैराज है, जहां से पार्टनर राज्यों को 1994 के समझौता अनुसार पानी की आपूर्ति की जाती है। हथिनी कुंड बैराज का डिजाइन CWC द्वारा किया गया था। इस बैराज में पानी को स्टोर करने का कोई तरीका नहीं है।

एक लाख क्यूसेक ही रख सकते हैं पानी
CWC के दिशा-निर्देशों के अनुसार इसमें एक लाख क्यूसेक से ज्यादा मात्रा में पानी आने पर पानी स्वतः यमुना नदी में चला जाता है। अगर बैराज में आए पानी को रोकने का प्रयास किया जाए तो यह बैराज के सभी गेटों को क्षतिग्रस्त कर सकता है और यह पानी भयंकर बाढ़ में तब्दील होकर हरियाणा और दिल्ली में भारी तबाही मचा सकता है।

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