हरियाणा की शान: एशिया का सबसे बड़ा हुक्का , इतने हजार रुपये में तैयार होकर बना है ये विशेष आकर्षण
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डीजे बाजे या ना बाजे पर हुक्के बाजे यारों का... हरियाणा में यह कहावत बहुत ही प्रसिद्ध है। ऐसा इसलिए कहा जाता है क्योंकि हरियाणा के लोग हुक्के को शान मानते हैं। हरियाणा के हर घर में हुक्का नजर आता है। प्रदेश के लोग इसे पूजनीय मानते हैं और कहा जाता है कि बड़े-बड़े मुद्दों के फैसले बुजुर्ग हुक्के की गुड़गुड़ाहट के बीच में निपटा देते हैं।
हरियाणा की शान और सबसे बड़ा हुक्का कुरुक्षेत्र की जाट धर्मशाला के अंदर मौजूद है। हुक्के को आपसी भाईचारे का प्रतीक माना जाता है। क्योंकि जहां पर सभी लोग आपस में बैठकर हुक्का पीते हैं और बातचीत करते हैं तो यह आपसी भाईचारे का संदेश है।
अक्सर देखा जाता है कि बड़ी-बड़ी पंचायतों व चौपाल के बीच जब पंचायत शुरू होती है।तब सबसे पहले हुक्के की गुड़गुड़ाहट सुनाई देती है। अक्सर कहा जाता है कि बड़ी-बड़ी पंचायतों में हुक्के की गुड़गुड़ाहट के बीच बड़े बड़े मुद्दों को सुलझाया जाता है।
इस हुक्के की खासियत यह है कि इसकी चिलम इतनी बड़ी है कि एक बार में आधा किलो से ऊपर तंबाकू इसमें डाला जा सकता है। कम से कम 8 से 10 उपले की आग तैयार करके इस हुक्के की चिलम में भरी जा सकती है। चौधरी साधु राम के मुताबिक इस हुक्के को बनाने में एक वर्ष का समय लगा। यह हुक्के 80 हजार रुपये में तैयार हुआ है।