हरियाणा मे आज से तीन दिन की हड़ताल पर स्वास्थ्य विभाग में कार्यरत 20 हजार आशा वर्कर्स
![pic](https://haryanakhabar.com/static/c1e/client/101420/uploaded/b6966b6687025c90a7a52e88ee300138.jpeg)
Haryana khabar : हरियाणा में लिपिकों की एक माह से भी अधिक समय से चल रही हड़ताल और पटवारियों की ओर से अतिरिक्त कार्य को छोड़ने के आंदोलन के बीच अब स्वास्थ्य विभाग में कार्यरत आशा वर्कर्स भी तीन दिन की हड़ताल पर जा रही हैं।
मंगलवार आठ से दस अगस्त तक वर्कर्स अपने मानदेय सहित अन्य मांगों को लेकर हड़ताल पर रहेंगी। सोमवार को पंचकूला में स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों के साथ बातचीत के लिए बुलाई बैठक में अधिकारियों के रवैये से खफा होकर वर्कर्स ने पूर्व में नियोजित आशा वर्कर्स का कहना है कि सोमवार को पंचकूला में स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों ने आशाओं की मांगों पर सकारात्मक रूप से बातचीत करने की बजाय डराने धमकाने की कोशिश की। यहां तक कहा कि सरकार को हल्के में न लें, सरकार आंदोलनकारियों को जेल भेज सकती। इसके प्रतिरोध में प्रतिनिधिमंडल ने बातचीत का बहिष्कार कर दिया।
आशा वर्कर्स का कहना है कि स्वास्थ्य विभाग जनहित का हवाला देकर आशा वर्कर्स को बिना मानदेय दिए ऑनलाइन काम करने के लिए बाधित कर रहा है और दूसरी तरफ हरियाणा सरकार व स्वास्थ्य विभाग पिछले 17 साल से स्वास्थ्य विभाग के अंदर ही काम करने वाली आशा वर्कर्स के स्वास्थ्य की गारंटी नहीं कर पाया हैं।
तीन साल से आशा वर्कर अपनी मांगों और समस्याओं को लेकर बार-बार स्वास्थ्य विभाग के उच्च अधिकारियों और सरकार को पत्र लिख रही है। संसाधनों व स्टाफ की कमी और काम के दबाव के चलते गर्भवती महिलाओं, आम जनता के साथ नागरिक अस्पतालों में दुर्व्यवहार के मामले लगातार सामने आ रहे हैं। आशा वर्कर्स यूनियन ने कहा कि आशाओं को धमका कर आंदोलन के लिए मजबूर करना है।
यूनियन हरियाणा स्वास्थ्य विभाग के उच्च अधिकारियों और सरकार से मांग करती है कि तुरंत प्रभाव से सरकार की ओर से दी जाने वाली धमकियों पर रोक लगाई जाए और आशा वर्कर्स की मांगों व समस्याओं का समाधान किया जाए। मंगलवार आठ अगस्त से प्रदेश की 20,000 आशा वर्कर्स तीन दिन की हड़ताल पर रहेंगी। मांगों का समाधान ना होने पर हड़ताल आगे जारी रह सकती है। यह जानकारी राज्य प्रधान सुरेखा व महासचिव सुनीता ने दी।
स्वास्थ्य विभाग ने सरकारी प्रवक्ता के माध्यम से बताया कि हरियाणा में आशाओं को राज्य बजट से पूरे देश में सबसे अधिक मानदेय दिया जा रहा है। आशा वर्कर्स यूनियन प्रतिनिधिमंडल को डॉ. कुलदीप सिंह ने यह भी बताया गया कि वर्ष 2018 में आशाओं का औसत मासिक मानदेय रुपये 4000/- था, जो बढ़कर वर्ष 2022-23 में रुपये 19600 हो गया है। इसमें केंद्र सरकार सिर्फ रुपये 2400 देती है। हरियाणा सरकार रुपये 7200 राज्य बजट से देती है। इसके अलावा कई अन्य तरह से इंसेंटिव दिए जा रहे हैं।
हरियाणा में आशाओं को 75 प्रतिशत मानदेय राज्य के बजट से दिया जा रहा है। फिर भी आशा वर्कर यूनियन अनावश्यक रूप से हड़ताल पर जाती रहती हैं, जिससे आमजन को परेशानी होती है। चालू वित्त वर्ष में 100 करोड़ रुपये का प्रावधान चार हजार मासिक मानदेय, कार्य आधारित अर्जित मासिक राशि का 50% अतिरिक्त मानदेय, कार्य आधारित सात प्रमुख गतिविधियों के लिए रुपए 750 रुपये अतिरिक्त मानदेय, आशा की मृत्यु उपरांत परिवार की आर्थिक सहायता के लिए तीन लाख की मदद के लिए किया गया है। इसके अलावा स्मार्ट फोन, सीयूजी सिम 30 जीबी डाटा एवं असीमित टॉक टाइम के साथ, ड्रेस, विभिन्न बीमा योजनाओं व प्रधानमंत्री आरोग्य योजना का लाभ दिया जा रहा है। फिर भी वर्कर्स प्रदर्शन कर रही हैं, जो नाजायज है।