सिरसा में लीलाधर दुखी स्मारक सरस्वती संग्रहालय: भारतीय संस्कृति और ऐतिहासिक धरोहर का खजाना

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सिरसा में लीलाधर दुखी स्मारक सरस्वती संग्रहालय: भारतीय संस्कृति और ऐतिहासिक धरोहर का खजाना

सिरसा में लीलाधर दुखी स्मारक सरस्वती संग्रहालय: भारतीय संस्कृति और ऐतिहासिक धरोहर का खजाना


सिरसा में लीलाधर दुखी स्मारक सरस्वती संग्रहालय: भारतीय संस्कृति और ऐतिहासिक धरोहर का खजाना

Sirsa: सिरसा (Sirsa) शहर में स्थित लीलाधर दुखी (Liladhar Dukhi)स्मारक सरस्वती (Saraswati )संग्रहालय का शुभारंभ 26 अप्रैल 2001 को किया गया था, और यह संग्रहालय अब भी राजकीय, सांस्कृतिक, और ऐतिहासिक महत्व का केंद्र बना हुआ है। इस संग्रहालय का नाम भारतीय संस्कृति और ऐतिहासिक धरोहर के प्रति लीलाधर दुखी के प्रतिबद्ध संवाद को याद करते हुए रखा गया है।

लीलाधर दुखी, जिन्होंने अपनी शिक्षा और रोजगार के साथ-साथ पुरातात्व और संस्कृति के क्षेत्र में भी अपनी मेहनत और समर्पण से महत्वपूर्ण योगदान दिया, की पुरातात्व में विशेष रुचि थी। उन्होंने हजारों ग्रंथों, प्राचीन सिक्कों, हड़प्पा काल की मूर्तियों, फरसे, पहियों, और चित्रों का संग्रह किया। उनका उद्देश्य आने वाली पीढ़ियों को भारतीय संस्कृति और सभ्यता के साथ-साथ उनके इतिहास को जानने और समझने का भी था।

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लीलाधर दुखी संग्रहालय में हड़प्पाकालीन और मुग़लकालीन सहित अनेक प्राचीन वस्तुएं संग्रहित हैं, और यह संग्रहालय हरियाणवी सभ्यता और संस्कृति का महत्वपूर्ण अंग है। बालभवन, सिरसा के बरनाला रोड पर स्थित इस संग्रहालय का दौरा करने के लिए सिरसा के स्कूल और कॉलेजों के छात्र-छात्राएँ बड़ी भीड़ में आते हैं।

लीलाधर दुखी स्मारक सरस्वती संग्रहालय के माध्यम से हम स्वयं के धरोहर को समझते हैं और संरक्षित करते हैं, जिससे हमारी आने वाली पीढ़ियाँ अपनी संस्कृति और ऐतिहासिक धरोहर के प्रति अधिक सजग और समर्पित हो सकें।

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