मरे हुए को जीवित करता है ये शिव मंदिर, जानिए क्या है इसका गहरा राज़
![शिव मंदिर](https://haryanakhabar.com/static/c1e/client/101420/uploaded/347ba89726d408b48a1132cd10788874.jpg)
Haryana khabar (Pallavi): इस संसार रूपी मोह माया को त्याग कर एक दिन सबको जाना पड़ता हैं। लेकिन क्या हो अगर आपको पता चले की आप मरने के बाद आप कुछ समय के लिए जीवित हों सकते हैं। जी हां, उत्तराखंड राज्य अपने मंदिरों के लिए प्रसिद्ध हैं, और उत्तराखंड की राजधानी देहरादून में एक मंदिर लाखामंडल स्थित हैं जो महाभारत काल में पांडवो द्वारा कोरवो से बचने के लिए बनाया था।
लाक्षागृह के चंगुल से बचने के लिए पांडव इस मंदिर में ठहरे थे। मंदिर में अनेकों गुफाएं होने की वजह से पांडव लाक्षागृह से बचने में कामयाब हुए।
लाखा का मतलब होता है लाख व मंडल का मतलब होता है लिंग। महाभारत की कहानी के अनुसार पांडवो जे यहां पर एक लाख शिवलिंगों को स्थापित किया था और इसी वजह से इस जगह को लाखामंडल कहते हैं। महाभारत के युद्ध के पश्चात पांडव हिमायल पर आए थे तभी उन्होंने इस मंदिर को बनाया था।
केदारनाथ की शैली में होने के कारण इसके गर्भगृह में भगवान शिव, पार्वती, काल भैरव, कार्तिकेय, सरस्वती, गणेश, दुर्गा, विष्णु और सूर्य-हनुमान की मूर्तियां स्थापित है. खूबसूरत और अद्भुत गांव समुद्रतल से 1372 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है.
देहरादून से इसकी दूरी 128 किमी, चकराता से 60 किमी और पहाड़ों की रानी मसूरी से 75 किमी की दूरी पर है. शिव को समर्पित लाक्षेश्वर मंदिर 12-13वीं सदी में निर्मित नागर शैली का मंदिर है. इस मदिंर के अंदर आपको पार्वती जी के पैरों के निशान मिलेंगे।
कहा जाता हैं की मंदिर में अगर किसी मृत को लाया जाए और मंदिर का पुजारी उस पर पवित्र गंगाजल का छिड़काव करे तो वह व्यक्ति कुछ समय के लिए जिंदा हो जाता हैं और गंगाजल का ग्रहण करते ही उसकी आत्मा शरीर त्याग देती हैं। इस करिशमे का कारण आज तक नही पता चल पाया हैं।