Chanakya Niti: जल्दबाजी से पलभर का सुख खोजने वालों का मार्गदर्शन करेगी आचार्य चाणक्य की ये सीख

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Chanakya Niti: जल्दबाजी से पलभर का सुख खोजने वालों का मार्गदर्शन करेगी आचार्य चाणक्य की ये सीख

युवा हरयाणा


Chanakya Niti: बात उन दिनों की है जब आचार्य चाणक्य तक्षशिला में पढ़ाया करते थे। वह मानते थे कि छात्रों को किताबी ज्ञान से ज्यादा व्यावहारिक ज्ञान देना चाहिए। आचार्य ने शिष्यों की परीक्षा लेने का निर्णय किया।

चाणक्य ने सभी छात्रों को आदेश दिया कि गुरुकुल की साफ-सफाई के लिए ‘बैंत’ की टोकरी में पानी भर कर ले आएं। छात्र गुरु की बात सुनकर चकरा गए और सोचें कि इन बैंत की टोकरियों में पानी भरना तो असंभव है लेकिन कहा कि जब गुरु ने कहा है तो आदेश मानना होगा। उनका आदेश टाल नहीं सकते।

सभी विद्यार्थियों ने नदी पर पहुंचकर टोकरी में पानी भरना शुरू कर दिया। जैसे ही वे पानी भरते, पूरा पानी छेदों से निकल जाता था।

आखिरकार सभी छात्र थककर खाली हाथ गुरुकुल लौट गए। सिर्फ एक छात्र को अपने गुरु पर पूरा विश्वास था। उसने सोचा कि जब आचार्य गुरु ने कहा है तो कुछ सोचकर ही बोला होगा। वह धैर्य से सुबह से शाम तक टोकरी में पानी भरता रहा।

अंत में बैंत की टोकरी पानी से फूल गई और छेद उसके भर गए और कामयाब होकर छात्र पानी से भरी टोकरी गुरुकुल ले गया। चाणक्य ने सभी छात्रों से कहा कि मैंने आपको बहुत कठिन काम दिया था जिसे सिर्फ धैर्य और लगन से किया जा सकता है। अत: जीवन में कोई भी काम मुश्किल नहीं है। धैर्य से सारा काम किया जा सकता है।

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